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भारत का संवैधानिक इतिहास

भारत का संवैधानिक इतिहास (Constitutional history of India)

 भारत का संवैधानिक इतिहास बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश के संविधान और सरकारी प्रणाली के निर्माण के पीछे की कहानी है। इसका आरंभ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से हुआ था और इसे संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया था।
  • स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण योगदान: संविधान का निर्माण मुख्य रूप से स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत से हुआ। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बी.आर. अम्बेडकर, रजेन्द्र प्रसाद, और अन्य नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान संविधान निर्माण की मांग की थी।
  • संविधान सभा का गठन: संविधान निर्माण के लिए एक संविधान सभा की स्थापना की गई, जिसका पहला बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुआ था। इस सभा के अध्यक्ष डॉ. रजेन्द्र प्रसाद थे, और इसमें 284 सदस्य शामिल थे.
  • संविधान तैयारी: संविधान निर्माण के लिए बी.आर. अम्बेडकर के नेतृत्व में एक समिति की स्थापना की गई जिसे “संविधान समिति” कहा गया। संविधान समिति ने 2 अक्टूबर 1947 को संविधान का प्रारूप पेश किया और निर्माण कार्य किया।
  • संविधान का प्रस्तावना: भारतीय संविधान का प्रस्तावना 26 नवंबर 1949 को हुआ था, और यह दिन “संविधान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
  • संविधान की स्वीकृति: भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को स्वीकृति देने के बाद, यह दिन “गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाया जाता है, और भारत गणराज्य की स्थापना हुई।
  • इस प्रक्रिया के बाद, भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान बन गया, और यह देश की सरकारी प्रणाली और नागरिकों के मौजूदा अधिकारों का सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

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